माँ की याद में...!
--------------------------------      माँ की याद में...!     अयोध्या धाम में,  प्रस्फुटित विद्या के अंकुर    पल्लवित हो,एक     वट वृक्ष बन गए...!    निरंजन के उपवन का,     प्रकाश पुंज हूं मैं    प्रारब्ध की पल्लविता,  और रिश्तों की ओट से  उपेक्षाओं के दंश को भी, पीकर   तूने ,मुझे जना...!       इस ल…
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आत्म परिचय
संपादक: प्रमोद तिवारी (प्रचंड राही) एशिया लाइट, लखनऊ।   आत्म परिचय...! *************** परिचय हमारा जानकर, क्या करेगें आप.......? पुनर्जन्म के रिश्तों पर, यदि है..! विश्वास  । तो यही आस,निश्चय ही, परस्पर स्तुति का, एक मार्ग प्रशस्त करेगी...! और क्षितिज तक पहुंचने का, पूरक बन एक इतिहास रचेगी...!! शून…
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दूरियों में ज़िन्दगी मिल जाएगी...!
संपादक: प्रमोद तिवारी (प्रचंड राही) एशिया लाइट, लखनऊ।   अच्छी  खासी ज़िन्दगी में, खलबली मचा दी । करोना ने विश्व की, हलचलें बढ़ा दी ।। प्रचंड व्यर्थ का रोना, आखिर कब तक रोओगे..? कोराना के कहर को कब तक ढोओगे। सदा अपना संघर्ष जारी रखेगा ये हिन्द, जब तलक अखियों में इसके ,नीर रहेगा सनातनी खून है इसकी रग…
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विषम परिस्थितियों में देश में दीवाली जैसा माहौल...!
प्रमोद तिवारी (प्रचंड राही) संपादक, एशिया लाइट, लखनऊ। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में साक्षात काल के रूप में करोना वायरस रूपी महामारी जिस अंदाज़ से मानव को निगलने को आतुर  हो रही थी,वहीं उसका ग्रास ना बनने में जुटी विश्व बिरादरी का एक हिस्सा भारत वर्ष और उसके नेतृत्व धारी ने जिस अदम्य साहस और जनभावनाओं की…
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आओ देशहित में मिलकर कुछ सोंचे...!
प्रस्तुति: प्रमोद तिवारी (प्रचंड राही) संपादक: एशिया लाइट, लखनऊ।  विचार कहते हैं कि परिवर्तन ही संसार का नियम है।किन्तु देश दुनियां में शायद ही कोई ऎसा क्षेत्रहो जहां हम सुख के समय, अमीर गरीब,हिन्दू मुस्लिम,सवर्ण अछूत,शहरी ग्रामीण,साक्षर निरक्षर,स्त्री पुरुष आदि ना जाने कितनी अनगिनत संज्ञाएं ओढ़े फ…
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रिश्तों की डोर में उलझता जीवन...!
रिश्तों की डोर में, उलझता जीवन..! ********************** यदि, कुछ बांध सकते हो तो, बहकते रिश्तों को बांध लो..! सीमित है जिंदगी, श्वासें और पल, प्रगति की आंधी में, हे..! पथिक  खुद को संभाल लो ...!! मत रोपो तुम नागफणी, उन रिश्तों के खेतों में । जहांअंकुर, प्रेम पल्लवित होते, अभिलाषाओं के ख…
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